Navneet Srivastav   (Navneet Srivastav {Navu})
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Joined 13 December 2019


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4 JAN AT 18:15

उसको पा जाते हम बहुत आसानी थी
पर फिर इश्क़ करना ही एक बेमानी थी

उसको पा कर खोने से डरते रहे ताउम्र
इश्क़ मुकम्मल था बस अधूरी ये कहानी थी

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30 DEC 2023 AT 18:55

राह उसकी देखते हैं आज तलक हम बस इसी इंतज़ार में;
वो किसी मोड़ पर शायद हमें एक नज़र मुड़ कर तो देखेगा

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15 DEC 2023 AT 15:47

लिखें भी तो क्या लिखें उसके हुस्न के बारे में;
जिसके हुस्न का सजदा ख़ुद बहारें करती हों

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12 DEC 2023 AT 17:52

ये किस तरह का ताल्लुक़ है तुझसे
बिछड़ कर भी तू करीब है मुझसे;
कैसा रिश्ता है तेरा मेरा नहीं मालूम
पर कुछ ना कुछ तो राब्ता है तुझसे

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10 DEC 2023 AT 21:29

तुम सुकून की बात करते हो गालिब;
हम तो तन्हाई को यार बनाए बैठे हैं

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7 DEC 2023 AT 18:40

उनकी जुल्फों को हवाओं में बिखरते देखना;
यकीं कीजिए आसां नहीं कयामत को यूँ देखना

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7 JUN 2022 AT 19:08

हम जिन्हें पा नहीं सकते कभी इस जिंदगी में;
ना जाने क्यों उन्हें ही खोने से डरते रहते हैं ताउम्र

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3 JUN 2022 AT 11:06

हम मोहब्बत समझ कर बहुत दूर तलक गए पीछे उसके
एक मोड़ पर देखा रुक के तो मोहब्बत बेवफ़ा निकली

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2 JUN 2022 AT 10:37

हमने जाने पे उसके बस इतना जाना है
के कभी कुछ मुकम्मल ठहरता नहीं है

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1 JUN 2022 AT 11:38

यूँ तो कई मर्तबा भरी महफ़िल में जिक्र आया उसका
एक कहानी याद आई, इक किस्सा याद आया उसका

भुलाने में जिसको एक अर्से से बैठे रहे हम ख़ल्वत में;
जो खत देखा पुराना तो वादों से मुकरना याद आया उसका

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