Navneet Vishwakarma   (Navneet)
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Joined 11 November 2019


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Joined 11 November 2019
17 JUN 2023 AT 23:57

कत्ल के कितने मुकदमे और लड़े जायेगे
इन जुल्फों ने कितने आशिक गिराए हैं क्या बताए

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7 MAR 2022 AT 1:02

जमीं को बाँटकर सरहद कर दिया
खुदकी सनक मे घरों को वीरान कर दिया
जल गये वो तेरी सत्ता की आग में
गुमान लिए तूने उन्हें(सैनिक) कुर्बान कर दिया

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25 JAN 2022 AT 0:23

चाह कर भी पास आना मुश्किल होता है
इत्मीनान से बाते कर पाना मुश्किल होता है
वक्त होता है जब कभी साथ बैठने का..
बातें तो बहुत होती है, पर लफ्ज़ निकलना मुश्किल होता है...

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15 SEP 2021 AT 18:47

ये दिल्लगी क्या क्या करा गई ,न पूछिए
जख्म कब नासूर बना गई ,न पूछिए
हसता हुआ चेहरा दिखता है तुमको
ये आंखों के सारे आंसू मिटा गई ,न पूछिए

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6 SEP 2021 AT 1:23

रात के निकले हुए सफर से
सबेरे लौटना पड़ता है
आखिर बोझ के बस्ते को भी
कांधे से कब तक दूर रख सकते है

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11 MAY 2021 AT 23:44

किसी अपने के आ जाने से
जो साथ ही नही है अब

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10 APR 2021 AT 15:04

अंधेरा क्या हुआ यार के घर में
उन्होंने तो घर ही बदल लिया

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1 FEB 2021 AT 13:07

दुर्भाग्य भी कब तक टिक पाता है,
लौट चाँद भी नभ में आता है!
अभी इम्तिहान की घड़ी है
अंधेरा भी सूरज को कब तक छिपा पाता है...

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4 DEC 2020 AT 9:36

खिलौना पसंद तो आया पर वो छू ना सका
दुकान सामने थी पर जा ना सका
बच्चे के सपने थे उस कांच के पार
चाह कर भी वह उसे पा ना सका....

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2 DEC 2020 AT 19:42

एक सर्द शाम और जुबां पर तेरा नाम
बस और क्या चाहिए......

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