26 OCT 2017 AT 21:52

मैंने पढ़ी है गीता, पढ़ा क़ुरान भी,
फिर आवाज़ दिल से अाई है।
ना कहा कृष्ण ने, ना कहता है अल्लाह,
फिर किस बात की ये लड़ाई है।
लक्ष्य सबने दिखाया एक है,
इंसानियत की राह बताई है।
खेल खेल गया इंसान यहां पर,
उसने खुदा पे भी धाक जमाई है।

आज मिल रहें हैं राम रहीम भी,
उनकी आंखें भी भर आईं है।
सोच रहे हैं बैठ के दोनों,
जिनको दिया था हमने प्रेम पाठ कल,
उसने इक दूजे के घर में आग लगाई है।

आज फिर मज़हब की बात आई है।

- ‘काग़ज़ी परिंदा’