कुछ यूँ हुआ उस रोज़ . . .
मैंने कहा नहीं पर ये बात हुई
आज तेरे बिना भी रात हुई,
माना थोड़े आँसू बहे
और बेमौसम बरसात हुई।
दिल में कुछ ख्वाब जो थोड़े टूटे थे
कि कुछ अपने भी तो रूठे थे,
यूँ ही नही मैं चुप रहा
ज़ुबां से तेरी, ताने भी तो छूटे थे।
हाँ कुछ अजब सा शोर था
फैला हर ओर था,
तिनका तिनका टूटा था मैं संभलने में
चाहे जितना लगाया ज़ोर था।
कुछ बातें तो थी ऐसी भी
जो बयान न शब्दों में हो पाई,
मगर बची कुछ बातों को करने बयाँ
मैं आया तो तेरी ओर था।
- अनु