कुछ यादें है तुम्हारी,पुराने सिक्को जैसी,बस संभाल के रखी हैं।कोई मोल नहीं हैं,अनमोल भी नहीं हैं,फिर भी कभी कभी,गिन लेता हूँ,जब खाली होता हूँ।पुराने सिक्को जैसी यादें।Naresh Saxena - Naresh Saxena
कुछ यादें है तुम्हारी,पुराने सिक्को जैसी,बस संभाल के रखी हैं।कोई मोल नहीं हैं,अनमोल भी नहीं हैं,फिर भी कभी कभी,गिन लेता हूँ,जब खाली होता हूँ।पुराने सिक्को जैसी यादें।Naresh Saxena
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