महक मेरे गुलाब की हाथों से न छूट जाए
ये सोच कलियों को भी न छूता मैं...-
Ex Navodayan..
Doctor...
जज्बातों को स्याही से पिरोने की एक कोशिश। 🤔
महक मेरे गुलाब की हाथों से न छूट जाए
ये सोच कलियों को भी न छूता मैं...-
खिला लो गुलाब अपने ही घर में
औरों के गुलाब पे अब भंवरे बहुत हैं..-
Vo kehte raffu kra lo
Me kese btau
Girebaan fti nhi
Daag bahut h..-
यादें
उनका क्या
आ जाती हैं सर्द हवाओं की तरह हर रोज़
और हम सिकुड़ते रह जाते हैं अतीत की रजाई में..-