ज़िंदगी यूं ही काटों का सफर नहीं।
हर राह पर रुकावटें होना
कोई इत्तेफ़ाक तो नही।
चलते चलते जब कदम थम जाएं,
दिल नाउम्मीद,
और आंखें नम हो जाएं,
तो ये काटें ही हमें याद दिलाते हैं
की खुदा ने हमें बस कदम ही नहीं,
पंख भी तो नवाजें हैं।
लेकिन हमने इस भेद–चाल में,
औरों से अलग लगने के दर से,
उनका वजूद ही भुला दिया।
पर ये काटें ही हैं
जो हमें हमारा सच याद दिलाएंगे।
हम खुद पर यकीन करें
तो ये पर खुद ही खुल जाएंगे।
हां माना वो अभी कमज़ोर होंगें,
और मन के अंदर का दर मज़बूत।
लेकिन उनमें हौंसले की हवा भर,
और दिल में विश्वास लिए
जब हम समय के साथ उड़ना सीखेंगे,
तो ज़मीन तो क्या,
ये आसमान भी पा लेंगे।
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