खिलते ही जगमगाता हैं सारे जग को मेहकाता हैं प्रेमियों को भाता हैं अपनी लाली से चमकाता हैं वह गुलाब का फूल कहलाता हैं। - नंदन
खिलते ही जगमगाता हैं सारे जग को मेहकाता हैं प्रेमियों को भाता हैं अपनी लाली से चमकाता हैं वह गुलाब का फूल कहलाता हैं।
- नंदन