11 AUG 2017 AT 11:42

चलो
इश्क पकाते है ,
जीवन के चूल्हे पर ,
उम्र की लकड़ी सुलगाते है ,
साँसो की लौ में ,
इश्क पकाते है ।
उम्र के आटे में विश्वास का पानी मिला कर ,
माड़ते है आंटे को और
मोटी रोटियाँ सेंक आते है ,
चलो इश्क पकाते है ।
ज़्यादा बर्तन तो नहीँ है ,
रिश्तों की रसोईं में ,
चोखे से काम चलाते है ,
चलो इश्क पकाते है ।
मेरी तुम्हारे फ़िक्र का बैंगन ,
तुम्हारे मेरे ख्याल के आलू ,
मिला कर भुन आते है ,
चलो इश्क पकाते है ।
सुख के धीमी-धीमी आँच ,
गम की तेज होती ताप ,
में रिश्तों को जलने से बचाते है ,
चलो इश्क पकाते है ।
थोड़ी नोक-झोक की मिर्च ,
थोड़ी लापरवाहियों का नमक ,
थोड़ी मेहनत के पसीने के तेल ,
से स्वाद बढ़ाते है ,
चलो इश्क पकाते है ।
दिल की थाली में ,
भरोसे के कलछी से परोसते है ,
एक दुसरे को थोड़ा-थोड़ा कर के ,
उम्र भर प्यार से खिलाते है ,
चलो इश्क पकाते है।।

- Nikhil kumar 'naman'