Naman Kumar Mishra   (Nikhil kumar 'naman')
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Co-Editor & poet
Joined 10 January 2017


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26 SEP 2022 AT 10:33

कितना बदकिरदार हो गया है इश्क
राजनीति का शिकार हो गया है इश्क
पहले मर्यादाओं में हुआ करता था
पहले मर्यादाओं में हुआ करता था
अब जिस्म की नुमाइश का बाजार
हो गया है इश्क...

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25 JUN 2022 AT 14:25

बस यूं ही ..........
रोज़ बिछौने पे एड़ियों से
सपनों की राख़ उड़ाते है ,
हम पलकों पे हर एक
आह को कुछ यूं जलाते है ।।$।।

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30 MAY 2022 AT 20:40

झूठे ख्वाब तो
मेरी निगाहे भी देखती है ,
कोई सच्चे
मंजर दिखाए तो बात बने ।।

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30 MAY 2022 AT 20:19

मदहोश सी कर जाती है
गुजरती हुई हवा ,
तेरी खुशबू जो साथ ले आती है ।।

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28 MAY 2022 AT 14:32

काश !
एक रात
तेरी बाहों में गुज़रे ,
जो कभी जागे ना .....

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27 MAY 2022 AT 23:20

आँखों में अब कहाँ सपने सजते हैं ,
होंठों में अब कहाँ हंसी चिपकती हैं ,
तुम जब से क्या गये हो ,
बस बेख्याली सी रहती हैं ।।$।।

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27 MAY 2022 AT 15:09

ना तुम बेवफा कहना मुझे
न हम तुमको कहेंगे ,
क्या हुआ कोई नया मिला
फिर भी हम थोड़े से तेरे रहेंगे ..😂😂💞

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27 MAY 2022 AT 14:48

बस यूं ही ...........
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मेरे दिल की उलझनों को ,
तुम अपना बता दो ना ,
कुछ ना करो बस ,
दुआ में मेरी अपना हाँथ उठा दो ना ।।
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14 APR 2022 AT 11:30

चरागों चलो अबकी घर जला दो
रोशनी कम सी लगी उनको
अबकी ये तन भी जला दो
मन जल कर कोयला हुआ
बेरुखी से उनकी
मोहब्बत की अब हर सौग़ात जला दो
चलो चरागों अबकी घर जला दो ।।$।।

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18 MAR 2022 AT 16:14

सिलसिले लगे रहते है गम के ,
एक तो जिंदगी
उसपर मैंने मोहब्बत कर ली ..

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