कितना बदकिरदार हो गया है इश्क राजनीति का शिकार हो गया है इश्क पहले मर्यादाओं में हुआ करता था पहले मर्यादाओं में हुआ करता था अब जिस्म की नुमाइश का बाजार हो गया है इश्क...
बस यूं ही ........... _____________________ मेरे दिल की उलझनों को , तुम अपना बता दो ना , कुछ ना करो बस , दुआ में मेरी अपना हाँथ उठा दो ना ।। _________________________________
चरागों चलो अबकी घर जला दो रोशनी कम सी लगी उनको अबकी ये तन भी जला दो मन जल कर कोयला हुआ बेरुखी से उनकी मोहब्बत की अब हर सौग़ात जला दो चलो चरागों अबकी घर जला दो ।।$।।