घर पहुंचते ही हमें पहले लगती है भुख
कुछ खाने के बाद ही मिलता है परम सुख
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I don't believe in homes.
A tiny artist
घर पहुंचते ही हमें पहले लगती है भुख
कुछ खाने के बाद ही मिलता है परम सुख
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मैं तेरे मन की कैसे जानू?
तु मेरे मन की जानें कैसे?
तु अपने मन की मुझसे कह दे
मैं भी बताऊ मेरा जग कैसा ।-
बनती कहानियों को कवि समझ लेते है
बन जाने से पहले
कलाकार ने समझा हर उलझन को
उलझनें बन जाने से पहले
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To speak for what you believed all your life And to change if there's anything wrong in it.
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एक तस्वीर
कोई कैद कर
रख जाए
जो तुम्हारी
ताउम्र
उसकी रहेगी
हमपर
कर्जदारी
और हम
खुशी से
चुकाते रहेंगे
किराया
तुम्हारा हमारा-