मोहब्बत का शिफ़ाख़ाना खुलेमरीज़-ए-इश्क़ शिफ़ायाब बन कर निकलेतबस्सुम हो हर चेहरे परतीरगी-ए-दिल में वफ़ा का आफ़ताब निकले - Munish K Attri
मोहब्बत का शिफ़ाख़ाना खुलेमरीज़-ए-इश्क़ शिफ़ायाब बन कर निकलेतबस्सुम हो हर चेहरे परतीरगी-ए-दिल में वफ़ा का आफ़ताब निकले
- Munish K Attri