खुदा की कसम क्या तमाशा रहा। मैं समुंदर में रह के भी प्यासा रहा।।कितनी खामोशीयां मेरे होंठों पे थी,दिल मेरा शोर अंदर मचाता रहा।। -
खुदा की कसम क्या तमाशा रहा। मैं समुंदर में रह के भी प्यासा रहा।।कितनी खामोशीयां मेरे होंठों पे थी,दिल मेरा शोर अंदर मचाता रहा।।
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इक दरिया है जो अश्को, का भरा रहता है।इश्क का जख्म तो, ताउम्र हरा रहता है।।— % & -
इक दरिया है जो अश्को, का भरा रहता है।इश्क का जख्म तो, ताउम्र हरा रहता है।।— % &
फ़ितरतन बेवफा नही है वो,कुछ अमीरो के शौक होते हैं...— % & -
फ़ितरतन बेवफा नही है वो,कुछ अमीरो के शौक होते हैं...— % &
तुम्हारा इश्क जिन्दगी है अगर...तो मौत जिन्दगी से बेहतर है।। -
तुम्हारा इश्क जिन्दगी है अगर...तो मौत जिन्दगी से बेहतर है।।
क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता घर ढूँड रहे हैं मिरा रातों के पुजारी मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता -
क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता घर ढूँड रहे हैं मिरा रातों के पुजारी मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता
अब उम्र उनकी है दहलीज पर जवानी की, मेरे अरमान है कि आप ही बहकने लगे। छुआ है मैंने जबसे रेशमी उन जुल्फों को, मेरे हाथ हैं कि खुशबू से महकने लगे।। -
अब उम्र उनकी है दहलीज पर जवानी की, मेरे अरमान है कि आप ही बहकने लगे। छुआ है मैंने जबसे रेशमी उन जुल्फों को, मेरे हाथ हैं कि खुशबू से महकने लगे।।
मेरी जां उसके हवाले है, मैं क्या करू।उसे सब चाहने वाले हैं, मैं क्या करू।।जिस्म उसका है गुलाब की पंखुड़ियों सा,और मेरे हाथ में छाले हैं, मैं क्या करू।। -
मेरी जां उसके हवाले है, मैं क्या करू।उसे सब चाहने वाले हैं, मैं क्या करू।।जिस्म उसका है गुलाब की पंखुड़ियों सा,और मेरे हाथ में छाले हैं, मैं क्या करू।।
बड़ा एहसान हम फ़रमा रहे हैंकि उन के ख़त उन्हें लौटा रहे हैंनहीं तर्क-ए-मोहब्बत पर वो राज़ीक़यामत है कि हम समझा रहे हैंयक़ीं का रास्ता तय करने वालेबहुत तेज़ी से वापस आ रहे हैंये मत भूलो कि ये लम्हात हम कोबिछड़ने के लिए मिलवा रहे हैंतअ'ज्जुब है कि इश्क़-ओ-आशिक़ी सेअभी कुछ लोग धोका खा रहे हैंतुम्हें चाहेंगे जब छिन जाओगी तुमअभी हम तुम को अर्ज़ां पा रहे हैंकिसी सूरत उन्हें नफ़रत हो हम सेहम अपने ऐब ख़ुद गिनवा रहे हैंवो पागल मस्त है अपनी वफ़ा मेंमिरी आँखों में आँसू आ रहे हैंदलीलों से उसे क़ाइल किया थादलीलें दे के अब पछता रहे हैंतिरी बाँहों से हिजरत करने वालेनए माहौल में घबरा रहे हैंये जज़्ब-ए-इश्क़ है या जज़्बा-ए-रहमतिरे आँसू मुझे रुलवा रहे हैंअजब कुछ रब्त है तुम से कि तुम कोहम अपना जान कर ठुकरा रहे हैंवफ़ा की यादगारें तक न होंगी मिरी जाँ बस कोई दिन जा रहे हैं -
बड़ा एहसान हम फ़रमा रहे हैंकि उन के ख़त उन्हें लौटा रहे हैंनहीं तर्क-ए-मोहब्बत पर वो राज़ीक़यामत है कि हम समझा रहे हैंयक़ीं का रास्ता तय करने वालेबहुत तेज़ी से वापस आ रहे हैंये मत भूलो कि ये लम्हात हम कोबिछड़ने के लिए मिलवा रहे हैंतअ'ज्जुब है कि इश्क़-ओ-आशिक़ी सेअभी कुछ लोग धोका खा रहे हैंतुम्हें चाहेंगे जब छिन जाओगी तुमअभी हम तुम को अर्ज़ां पा रहे हैंकिसी सूरत उन्हें नफ़रत हो हम सेहम अपने ऐब ख़ुद गिनवा रहे हैंवो पागल मस्त है अपनी वफ़ा मेंमिरी आँखों में आँसू आ रहे हैंदलीलों से उसे क़ाइल किया थादलीलें दे के अब पछता रहे हैंतिरी बाँहों से हिजरत करने वालेनए माहौल में घबरा रहे हैंये जज़्ब-ए-इश्क़ है या जज़्बा-ए-रहमतिरे आँसू मुझे रुलवा रहे हैंअजब कुछ रब्त है तुम से कि तुम कोहम अपना जान कर ठुकरा रहे हैंवफ़ा की यादगारें तक न होंगी मिरी जाँ बस कोई दिन जा रहे हैं
ज़माने की दौलत ना जर चाहती है। तुम्हे देखना बस नजर चाहती है।।इबादत में मेरी तुम महसुस हो बस, दुआओं में इतना असर चाहती है।।To be continued... -
ज़माने की दौलत ना जर चाहती है। तुम्हे देखना बस नजर चाहती है।।इबादत में मेरी तुम महसुस हो बस, दुआओं में इतना असर चाहती है।।To be continued...
मुहब्बत के दिलकश वो नजारे कहां गये।वो चांद कहाँ है, वो सितारे कहां गयें।।कहते नहीं थकते थे, हमें लोग जो अपना, हम तो यहीं खड़े हैं, हमारे कहाँ गये।। -
मुहब्बत के दिलकश वो नजारे कहां गये।वो चांद कहाँ है, वो सितारे कहां गयें।।कहते नहीं थकते थे, हमें लोग जो अपना, हम तो यहीं खड़े हैं, हमारे कहाँ गये।।