ग़ालिब साहब...दिल ही तोड़ना था उसे तो बेशक़ माँग लेती, यूँ अपने पास रखकर तोड़ने की क्या ज़रूरत थी !!! -
ग़ालिब साहब...दिल ही तोड़ना था उसे तो बेशक़ माँग लेती, यूँ अपने पास रखकर तोड़ने की क्या ज़रूरत थी !!!
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