हो सके तो माफ़ कर देना हमें,
नज़रअन्दाज़ कर दिया तुम्हें,
पर तुम्हारी हर वो प्यारी बातें,
याद हैं हमें, और हमेशा रहेगी,
हक़ीक़त से बहुत दूर हमने,
सपनों का घर बनाया था,
जहाँ तुम थी मेरे साथ,
कुछ पल के लिये ही सही,
मेरे ज़िन्दगी के वो सबसे ख़ूबसूरत पल थे,
अफ़सोश हमें वापस घर छोड़ जाना था,
हक़ीक़त की दुनिया में, किसी और के लिये,
अब बस गुमसूम हम और हमारी रातें,
तुम भी लौट जाओ अपनी दुनिया में,
अभी ज़ख़्म हरा है, नासूर बनने से पहले,
तोड़ दो तुम अपनी मोहब्बत की डोर,
हमारी यादों के पिंजरे से आज़ाद कर लो खुद्को,
ज़रा मुश्किल है पर नामुमकिन तो नहीं,
हो सके तो नफ़रत का बीज़ बो लेना तुम,
कभी यूँही अनजान सफ़र में मिले,
तो दो-चार थप्पड़ लगा देना तुम,
हम दोनो का सफ़र यहीं तक था,
हो सके तो माफ़ कर देना हमें !!!
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