जैसे ज़रूरत अपना शब्द बदलती है,
वैसे ही एहसान अपना लहज़ा।।-
प्रदेश में रहने वाले एक बिहारी और उसके संग रहने वाले परोसन कि आपसी बातचीत।।
परोसन:–
हो भईया हम्हू चलब तोहार संग बिहार में।।
छठी मईया के अर्घ्य देवे तोहनी बगल के जलाशय में,
हो तनी सुनअ
ओ ठेकुआ पूरी के कोना बिसरब जे तोहार तू बिहारन लोग बनाईले रहलअ निर्जल व्रत क के आ मईया के परसी अपना भावना संग सचार में,
हो हम्हू खायब मईया के प्रसाद तोहार संग तोहर दुआर में।।
हो भईया हम्हू चलब तोहार संग बिहार में।।
बिहारन:—
हो भईया सुनअ,
ना जहाज़ में, ना बस में, ना ट्रेन में एक्को गो टिकट खाली रही,
तू एक्को पाई चिंता नय करअ तोहनी के हम छठी मईया के अर्घ्य दिला के रही,
आबअ हमरे संग ट्रेन में बैठअ एक्के गो सीट पर दुनू चली
का होई टीटी साहेब के फाईन दय के रही आ संगे दुनुउ यार (दोस्त) बातयाति चली,
आयसने में रास्ता कोना कटी दुनुअ लोगन कुछो न बुझी,
दुनु आदमी माई के घाट पर अर्घ्य देब आ ठेकुआ खायब,
आ करब खूब दोस्त लोगन संग घाट पर मस्ती बा,
हो भईया चलअ हमरा संगे मईया के अर्घ्य देबे बिहार बा।।
छठ पूजा नहीं भावना है हमारी।।
छठ पूजा नहीं पहचान है हमारी।।
छठ पुजा नहीं अभिमान है हमारी।।
परदेशियों ( बिहार से बाहर) रहने वालो को समर्पित-
दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी।
और अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था।
उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की चुटकी (मजाक) लेते हुए
कहा:
"हार निश्चित हैं तेरी, हर दम रहेगा उदास ।
माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास ।"
अर्जुन ने कहा :- हे प्रभु
"जीत निश्चित हैं मेरी, दास हो नहीं सकता उदास ।
माखन लेकर क्या करूँ, जब माखन चोर हैं मेरे पास...!!!!
" *जय श्री कृष्ण* "
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दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी।
और अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था।
उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की चुटकी (मजाक) लेते हुए
कहा:
"हार निश्चित हैं तेरी, हर दम रहेगा उदास ।
माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास ।"
अर्जुन ने कहा :- हे प्रभु
"जीत निश्चित हैं मेरी, दास हो नहीं सकता उदास ।
माखन लेकर क्या करूँ, जब माखन चोर हैं मेरे पास...!!!!
" *जय श्री कृष्ण* "
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शब्द यदि ब्रह्म है तो स्वर उसकी आराधना और यदि आराधक स्वयं आराध्य बन जाये तो वो अमर हो जाता है,आप सृष्टि के नाद में सदैव विद्यमान रहेंगी।।— % &
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आज तो बहुत खुश होगी तुम मुझें ठुकरा कर
अपना आशियाना कही और बसा कर,
पर याद रखना
जब तेरा न्नाय होगा ऊपर वाले कि अदालत में,
तब मज़ा हम भी लेंगें तेरी कुदेरती हुई गलतियों पर
सज़ा पाने पर।।
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