Muhammad Shameem  
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Joined 27 April 2018


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Joined 27 April 2018
14 APR 2020 AT 1:33

हमसफ़र किसी "मौत" की तरह होना चाहिए!
कम से कम उसके आने का पूरा यक़ीन तो हो।

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17 OCT 2019 AT 18:07

तुमने देखा एक ही लेकिन,
मैंने देखा दो दो चाँद।
चलनी के इस पार भी चाँद,
चलनी के उस पार भी चाँद।

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6 AUG 2019 AT 1:08

तुमने क्या सोचा? कि रोटियों पर है,
जी नहीं..उसकी नज़र बेटियों पर है।

उसकी हैवानियत बताऊँ क्या,
सफेद जिस्म की बोटियों पर है।

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3 AUG 2019 AT 2:05

खौफ़ आता है मुझे बरसात की इन तन्हा रातों में,
सुना है बिजलियाँ भी अकेले इंसानों पर गिरती हैं।

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20 JUL 2019 AT 23:48

नम आँखों से दरिया बहना मुश्किल बात नहीं साहब,
पथराई सी आँखे हैं जो, एक समुंदर रखती हैं।

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16 JUL 2019 AT 15:41

पहले जलाया राख किया और फिर क्या..?
मैंने जज़्बात हवा में बिखेर दिए।

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26 JUN 2019 AT 16:36

गर आज मैं हूँ तो कल तू भी कतार में,
सभी खड़े हैं अपनी बारी के इंतज़ार में।

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5 JUN 2019 AT 1:26

हमें भी ईद मनाने की आरज़ू है मगर,
वो चाँद देख लिया तुझको देखना है मुझे।

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10 MAY 2019 AT 15:20

बड़ी मुराद है जिनको मेरी शादी से,
शायद वो जलते है मेरी आजादी से।

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1 MAY 2019 AT 18:07

हालत से मजबूर अगर हैं,
किस्मत को मंजूर अगर है।
इसमें मेरी गलती क्या है,
साहब हम मजदूर अगर हैं।

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