ये बढ़ती तपिश और चिलचिलाती गर्मी
सिर्फ सूरज की गुस्ताखी नहीं
ये तो साज़िशें हैं पहली बरसात के
इंतजार में बैठी बेचैन बूंदों की
ताकि जब आगाज़ हो उनके आने का
तो कोई ख़ामोश खिड़कियों किनारे बैठ कर
उन्हें बस बहते हुए न देखे💥
बल्कि हर कतरे को आग़ोश में भर ले
और हर शख़्स को इंतेला करें उनके आहट की
गुज़ारिश करे उन बूंदों से कि अगली दफ़ा जब वो आए
तो मिट्टी की महक के साथ कुछ खुशनुमा लम्हें लेती आए💦
- Monika Tirkey