Monika   (बेज़ार)
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यथार्थ के धरातल पर,
महज़ एक कल्पना...!!

#ग़ज़ल_ए_बेज़ार
Joined 6 July 2019


यथार्थ के धरातल पर,
महज़ एक कल्पना...!!

#ग़ज़ल_ए_बेज़ार
Joined 6 July 2019
12 SEP 2023 AT 10:47


प्रेम-पत्र !!






















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14 JUN 2023 AT 21:56

लफ्ज़ मोहब्बत के, अब हमें लुभाते नहीं हैं...
बेशक़ पीते हैं, मगर निगाहों तक चढ़ाते नहीं हैं..

लाए हो इश्क़ तुम, तो जरा बेपर्दा रहो दिलबर
शानो शौकत अब किसी की हम घटाते नहीं हैं..

वो जो करते है रक़्स, मेरी खामोशियों पे अक्सर
कोई समझाए इन्हें, आग समंदर में लगाते नहीं हैं..

मिरे अंदाज़-ए-वफ़ा से है,शिकायत यहां सभी को
तो क्यूं ये लोग वफ़ा के पैतरे मुझे सिखाते नहीं हैं..

और जो पूछते हैं सबब, इस 'बेज़ार-ए- हाल' का
क्या बतलाएं, कि ये तकल्लुफ़ हम उठाते नहीं हैं...

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21 MAY 2023 AT 20:39


Dear ज़िंदगी...!










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12 JAN 2023 AT 20:35





' याद : एक बेचैनी '














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31 DEC 2022 AT 21:47





कुछ... बस यूं ही...!!















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29 DEC 2022 AT 22:59

खुशनुमा मोहब्बत सी,
वो इक तस्वीर लिए है.
इन ख़यालों से परे,
अपनी ही तकदीर लिए है..

तिलिस्म-ए-तहरीर यूँ,
कि मर मिटे है कातिब..
हाथ में ख़ंजर तो नहीं,
क़लम सी शमशीर लिए है..!!

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14 DEC 2022 AT 18:47

तन्हा आंखों का रंगी, पोशीदा नक़ाब हो तुम...
गर इश्क़ है ये आंखें, तो रूहानी ख़्वाब हो तुम..

ये जो बैठे है सुनने, फ़क़त तमाशाबीन यार है
हर सूरत-ए-हाल में थामे, मेरे अहबाब हो तुम..

है जफ़ा, है फ़रेब, है कसक, है ग़म भी शामिल
हर जज़्बात है तुम्हीं से, गौहर-ए-नायाब हो तुम..

कांटे ही रहे है मुसलसल, दामन में उम्र भर
शख्सियत है गुलिस्तां, मुक्कमल गुलाब हो तुम..

नहीं रही अब कोई तलाश, कि ताबीर क्या करें
तुम हो मिल्कियत मेरी, रूह का इंतखाब हो तुम..

'बेज़ार ' ख़यालों को नहीं हसरत, रंग लाने की
हरेक लफ्ज़ में "जॉन ", हुस्नो-शबाब हो तुम...

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11 NOV 2022 AT 23:30

आदाब-ए-रुख़स्त के कायदे निभाने लगे हो..
जरा ठहरो कि अभी देर है, क्यूँ जाने लगे हो...

माना कि सफर यही तक, था हम सभी का
कैद रखो ये लम्हात,क्यूं अश्कों में गवाने लगे हो...

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13 OCT 2022 AT 10:26

हर इक शख्स को यहां इश्क़ की गवाही चाहिए..
मैं मर मिटी हूँ, क्या अब भी तुम्हें तबाही चाहिए...?

लो रख दिया है खूं-ए-दिल, हर्फ़ दर हर्फ़ अपनी बात में
सुनो ऐ सुनने वालों ! अब मुझे वाहवाही चाहिए...!!

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8 OCT 2022 AT 21:15

कुछ लिखूं
या ना लिखूं,
जीवन हर रोज़ पढ़ता है...

ये प्रेमिल मन,
प्रतिदिन
जीवन का नया अध्याय गढ़ता है..!

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