काफ़ी वक्त के बाद ,ठहरा है मुसाफ़िर,मेरी झोपड़ी में,,समझ नही आ रहा,कैसे मैं उससे पेश आऊं। - मोनिका अग्रवाल
काफ़ी वक्त के बाद ,ठहरा है मुसाफ़िर,मेरी झोपड़ी में,,समझ नही आ रहा,कैसे मैं उससे पेश आऊं।
- मोनिका अग्रवाल