(मोहब्बत पर #८)नाराज़गी नाजायज़ नही आपकी ,कि हमेशा आपको हमसे,शिकायत ही क्यों नसीब हो।करें क्या हुज़ूर, सिवाय आपके, है कौन,यूँ अपना, सब कुछ बाँटने को? - bankachaand
(मोहब्बत पर #८)नाराज़गी नाजायज़ नही आपकी ,कि हमेशा आपको हमसे,शिकायत ही क्यों नसीब हो।करें क्या हुज़ूर, सिवाय आपके, है कौन,यूँ अपना, सब कुछ बाँटने को?
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