20 APR 2018 AT 1:14

चौखट पर बैठी है शाम ढलने के वास्ते,
परवाने भी मुन्तज़िर है अब जलने के वास्ते,
कोई शमा तो जले कोई रात तो आये,
कब से बेचैन बैठे है उनसे मिलने के वास्ते।

- BADTAMÊĒZ