ये अजब कश्मकश है मेरी जान की,
पुराने शहर में कुछ लोग जानते हैं,
तो नए रिश्ते बनाने से डरती है।
नए शहर में,
पुराना एक दोस्त है उसका,
नए शहर के नए लोगों को,
ना जाने क्यों बतलाने में डरती है।
सबसे अज़ीज़ तोहफ़ा हूँ उसका,
ऐसा वो बतलाती है,
शायद तभी,
दुनिया से बचा कर मुझे रखती है।
ये अजब कश्मकश है मेरी जान की,
इतनी इफ़ाजत से तो वो रखती है,
फिर क्यों दिन पर दिन निकलती है।
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