नई सी नजर करूं, मगर मन में वही सवाल,
उन्हीं मुश्किलों में लो फिर आ गया नया ये साल,
बदलाव जो मैं देखूं, तो दिखता नहीं कुछ,
वही कमबख्त मैं मजबूर , वही मेरे मन में मलाल।
आइने को देखना तो छोड़ दिया जाने कब,
धूल चेहरे पे लगी है, पर देखता नहीं मैं अब।
जो जिंदगी से सीखा, वो जिंदगी को सौंपू,
ये साल फिर नया है, इसे मैं कैसे रोकूं।
मैंने हारा तो बहुत है, पर अब जीतने का मन नहीं,
अब जो भी है सही है, कुछ चाहने का मन नहीं।
पिछले साल के पतझड़ से उड़ता रहा हूं मैं,
एक बसंत की तलाश होगी नए साल में,
नजर को नया करूं, ढूंढूंगा अब नए सवाल मैं।
ना रहूं मैं कमबख्त मजबूर, ना हो मलाल इस साल में।-
पहुंच गया?
हां मां।
अब रात में कहीं मत जाना,
इतनी रात में कहां जाऊंगा मां?
बस ऐसे ही जीवन कट जाए ❤️-
एक लड़ाई तेरी है,
और एक लड़ाई मेरी भी।
हर वो शाम तू खुद भी रोया है,
हर उस रात था रोया मैने भी।
एक ज़ख्म है गहरा तेरे अंदर,
मरहम मैं था उसका ले कर घुमा।
जब एक ज़ख्म फैला मेरे अंदर,
वो शाम थी आई तू फिर रोया।
था मेरा तेरा दिल दोनों मिट्टी का,
शुरुआत यही हुई थी अपनी।
तेरा और मुलायम होता गया,
पर मेरा क्यों अब पत्थर सा।
चल खुश हूं अब मैं पत्थर सा,
तुझे एक बार जो हंसता देखा तो।
तेरी वो शाम अब कभी आएगी नहीं,
पर मेरी रात अभी भी बाकी है,
एक लड़ाई जो मेरी थी बाकी,
वो जंग अभी भी जारी है।-
और क्या ही उम्मीद होती है,
बस छोटी छोटी बातें होती हैं!
कभी तुम खुद मुझे समझने आय थे,
अब समझ के नहीं आना तुम्हारा,
जवाबों में उलझे सवालों की तरह सा क्यों है?
भरोसे से भरोसा उठ चुका है बताया था तुम्हे,
कैसे मन की बात बता रहे हिम्मत दिखाया था तुम्हे,
उस डर को सही बना दिया क्या तुमने , ये मन में सवाल क्यों है?
छोटी छोटी ही तो होती हैं ना उम्मीदें ,
मेरी हर उम्मीद पे मुझे मलाल क्यों है?-
ऊंचानियां तो कभी हमारी भी होंगी,
जिंदगी की सीढियों पर एक एक कदम जमाएं जा रहे हैं।
तुम्हें क्यों बताएं कहां जाना है हमें,
तुम अपनी सीढियां देखो, तुम अपनी ऊंचाई ढूंढो।-
Ek hai khamoshi, ek hai ehsaas..
Ek hai duri, ek uske kam hone ki aas..
Ek hai duniyadari, ek hai uske khwab..
Ek hai sacchai, ek uske man ka malal
Mere vaadon pe uske man me koi sawal na tha..
Do duniya me jite hain sab, ye khayal na tha..
Kya waqt badalne se badal jate hain insaan..
Jawab jab tak jana, ab wo sawal na tha
Reh gyi hai kasar, har insaan janta hai..
Har pal wo khud ko gunehgar maanta hai..
Wo tasaali hi kya Jo tasaali se jeene de usko..
Tute tinko ko sametna hi apna kirdar maanta hai..
Kya milna hai kya khona, isme ab na taulta naapta hai ..
Duniya ke rangmanch pe, kismat hi asli kalakar hai,haan ab wo janta hai!-
कभी उलझे हो वहां जहा उलझे क्यों हो ये समझ नहीं आता?
कभी रुके हो वहा जहा रास्ते ही रास्ते हों,
पर जाना कहा समझ नही आता?
कभी भीड़ में भी अकेलेपन का एहसास तो हुआ होगा,
कभी अकेलेपन में वही भीड़ की लालसा हुई होगी?
कभी सवालों से दूर भागते खुद को देखते होगे,
और कभी जवाबों में डूब के खुदको ढूंढते भी होगे?
अकेले नही हो तुम, ये बात याद रखना बस,
कुछ भी हो जाए खुद का साथ ना छोड़ना बस,
ये अंधेरे पुरी तरह कभी जाएंगे नही,
बिना मुस्किल बीत जाए जो वो बचपन अब आएगा नही।
मिलेंगे सफर में लोग बहुत सारे,
कुछ एक गलती पे चले जाएंगे, कुछ सौ गलतियों पे भी नजर आएंगे,
चले गए जो उनको कोसना कभी ना,
सब के अपने वही मसले हैं,
जो अपना कभी माना हो वो लौट वही आएंगे।
अकेले नही हो तुम, ये बात याद रखना बस,
कुछ भी हो जाए खुद का साथ ना छोड़ना बस...-
कुछ खयालों में बीतेंगे,
कुछ सवालों में बीतेंगे,
फिर भी बच जाएंगी तुम्हारी यादें,
जो सफेद बालों में बीतेंगे।
-
कभी सोचता हूं क्या अलग कर सकता था..
कभी सोचता हूं क्या अलग हो सकता था..
कभी खुद को कोश लेता हूं..
कभी किस्मत को डांट देता हूं।
कभी चुपचाप बैठ लेता हूं..
कभी बंद कमरे में रो लेता हूं..
कभी खुशियों जो आती उन्हें दुर कर के..
मैं इस लायक नहीं, ये कह के सो लेता हूं।
ये वादे जितने टूटे हैं..
ये सपने जितने छूटे हैं..
इस बार ज़िंदगी में तो हो ना सका ..
अब आंख मूंद लेते हैं।
चलो काट लेते हैं ऐसे ही..
जो कुछ साल अभी जो बाकी है..
आऊंगा जरूर अगले जन्म..
सपने हमारे बाकी हैं।
- - - - मोहित कश्यप!
-
If you won't break the silence...
The silence will break me!!— % &-