Mohit Gummanwala   (मोहित 'गुमाँवाला')
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Joined 15 February 2018


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Joined 15 February 2018
2 JUL 2018 AT 20:51

किस्सों में अक्सर जो मोहब्बत होती है,
हक़ीक़त में वैसी मोहब्बत नहीं मिलती,
मोहब्बत होती है रूह को रूह से...
जिस्मों में उतरकर मोहब्बत नहीं मिलती।

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16 JUN 2018 AT 13:31

आम का मौसम है,बाग ...दिखा दूँ क्या?
जल जल के हुआ हूँ मैं,कितना राख... दिखा दूँ क्या?
और शहर में चंद लोग मुझे काफ़िर कहते है,
अंदर से कितना हूँ मैं पाक... दिखा दूँ क्या?

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21 MAR 2018 AT 11:13

अब तो मैं राह का...पत्थर हो चला हूँ...
कहाँ जरुरत अब मुझे...किसी आशियाने की?
वक़्त मिला...तो आपसे जरूर मिलूँगा...
अभी तो...ठोकरों में हूँ ज़माने की...😢

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27 FEB 2018 AT 13:11

चरागदान कोई गर्द से...ढका पड़ा है...
बहुत दिनों से उस बुढ़िया ने...कोई चराग नहीं जलाया...
सुना है उसका बेटा... फ़ौज में था...👮
सरहद पर गया था...लौटकर नहीं आया...😢

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4 NOV 2020 AT 18:45

देखूंगा तुझे जी भर के...आज तिशनगी मिटाऊंगा,
आज बन के चाँद...मैं तेरी छत पे आऊंगा ।

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2 NOV 2020 AT 22:30

हम अब तक न समझे
हमारा क्या खो गया?
खुदा जाने
हमें क्या हो गया?

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31 OCT 2020 AT 22:51

चूम लूँगा तेरा चाँद सा मुस्कुराता चेहरा,
गर तुम सामने मेरे यूँ ही बैठोगे कभी।।

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29 OCT 2020 AT 14:01

न खुदा मिला,न पता मिला,
इस दुनिया में जो भी मिला,
हर शख्स बेवफा मिला।

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25 OCT 2020 AT 22:22

कूदे थे दोनों......इश्क़ के समंदर में,
वो तैरकर निकल गए, हम छटपटाते रह गए।।

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20 OCT 2020 AT 22:04

कि कोई न आए यहां...
घर से होके खंडहर
अब खुश हूं मैं।।

मकड़ियों के जाले औऱ
पंछियो के घोसलों संग,
जो बसते है मेरे अंदर,
अब खुश हूँ मैं।

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