Mohammad Rafay "jaami"   ("jaami")
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I am leo born on 1st August
love writing and listning urdu poetry
simple emotional guy
Joined 13 February 2018


I am leo born on 1st August
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8 MAR 2022 AT 14:51

वो नज़र मुझसे तो मिलाते नहीं
अब गली से भी आते जाते नहीं,

खोए रहते हैं किन ख़यालों में
देख कर अब वो मुस्कुराते नहीं,

उनके आने की आस जाती रही
हम भी घर को अब सजाते नहीं,

मुझसे ग़ाफिल हुए हैं इतना क्यूं
ख़्वाब में भी तो अब वो आते नहीं,

आंख भी हो गई हजर जामीं
आंसू इनमें तो अब समाते नहीं,

मोहम्मद राफे जामी

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21 FEB 2022 AT 16:19

गंगा विकास की जो अब के बहाएंगे
उनको ही चुन के हम तो सत्ता में लाएंगे

हिंदू मुसलमां सिख इसाई रहेंगे साथ
सम्मान पिछड़ों को फिर से दिलाएंगे,

झगड़ा ये मंदिर और मस्जिद का अब ना हो
भगवा हरा न सिर्फ तिरंगा लहराएंगे,

दंगाइयों का नाश मिलकर करेंगे हम
फ़िरका परस्तों को मिलकर भगाएंगे,

वादों से झूठे जामीं परेशान हो गए
मिलकर नई तारीख हम सब बनाएंगे,

मोहम्मद राफे जामी

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29 JAN 2022 AT 0:44

गैरों में अपनाया गया हूं मैं।
अपनों में ठुकराया गया हूं मैं

غیروں میں اپنایا گیا ہوں میں
اپنوں میں ٹھکرایا گیا ہوں میں

है दुश्मनों को यक़ीन जामी में।
एजीज़ो में आज़माया गया हूं मैं।।

ہے دشمنوں کو یقین جامی میں
عزیزوں میں آزمایا گیا ہوں میں

محمّد رافع جامی
मोहम्मद राफे जामी— % &

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27 JAN 2022 AT 17:54

कभी खतरे में हिंदू है कभी मोदी को खतरा है।
भवर में डोलती नय्या के अब योगी को खतरा है।।
बना पाओगे ना उल्लू अब ये भी समझ लो तुम।।
चलेगा कोई न नाटक के हर ढोंगी को खतरा है।।

बिठा कर राह पर तुम यूं किसानों को जो ठगते हो,
दिखा के नौकरी का ख्वाब जवानों को जो ठगते हो,
बना के खौफ एनआरसी का कहीं लिंचिंग का मिलके तुम,
कुर्सी ही की खातिर बस मुसलमानों को जो ठगते हो,

हुआ न काम कुछ भी सात और आठ बरसों में।
कहीं स्मार्ट सिटी ने बन सकी इन आठ बरसों में।।
के बस महंगाई नाची है तेरी सत्ता के आंगन में।।
रहा न चैन से कोई भी इक दिन आठ बरसों में।।

जीएसटी को लगाकर जो दुकानदारों को लूटा है।
करा के नोट बंदी फिर कारोबारी को लूटा है।
चला न बस तुम्हारा उन भगोड़ों और लुटेरों पर।।
बढ़ा कर क़ीमतें जनता की बस क़रारी को लूटा है।।

न हिंदू खतरे में और न ही मुसलमां ही है खतरे में।
तुम्हारी नफरतों से बस ये हिंदुस्तान है खतरे में।
जागो उठ के जामीं रोक लो अब नफरतों को तुम,
हमारे देश का अब तो हरइक इंसान है खतरे में।।

मोहम्मद राफे जामी— % &

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27 JAN 2022 AT 17:47

आप भी तरक्की की किताब देखिए
पिछले पांच बरसों का हिसाब देखिए,

आधी सबकी देखिए कमाई हो गई
ऊंची आसमानों से महंगाई हो गई,
कह दो सब से कोई भी न ख़्वाब देखिए,
पिछले पांच बरसों का हिसाब देखिए,

दहका नौजवान सब बेहाल हो गए,
अच्छे अच्छे भी तो फटे हाल हो गए,
बढ़ता चारसू अब इंकिलाब देखिए,
पिछले पांच बरसों का हिसाब देखिए,

ज़िन्दगी हर एक की मज़ाक हो गई,
बे सबाब बच्चियां भी ख़ाक हो गईं,
नियतों को होता अब ख़राब देखिए,
पिछले पांच बरसों का हिसाब देखिए,

मज़हबों की भेंट हिन्दुस्तान हो गया,
दरिंदा अब आज का इंसान हो गया,
माब लिचिंग का नज़ारा बेहिसाब देखिए,
पिछले पांच बरसों का हिसाब देखिए,

नफरतों का अब तो ये दयार हो गया,
हर दिल से ग़ायब अब तो प्यार हो गया,
दस्त ए जामीं में ये टूटता गुलाब देखिए,
पिछले पांच बरसों का हिसाब देखिए,

मोहम्मद राफे जामी
दहका =किसान
दस्त= हाथ— % &

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9 JAN 2022 AT 14:08

बुरा हूं तो हूं तेरी नज़रों में।
अच्छा था तो क्या पाया था।।
है जामी को मलाल इसका।
उसको चेहरा तेरा भाया था।।

मोहम्मद राफे जामी

برا ہوں تو ہوں تیری نظروں میں
اچّھا تھا تو ۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔کیا پایا تھا
ہے جامی کو ۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔ملال اسکا
اسکو چہرا ۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔تیرا بھایا تھا

محمّد رافع جامی

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6 JAN 2022 AT 13:03

ख्यालों में जो दफ़अ'तन एक सय्याद आया।
मुझको भी बचपन का वो प्यार याद आया।।
लुटा बैठा था तब सब कुछ अपना जो जामी।
इस तरह वापस घर वो फिर बर्बाद आया।।

मोहम्मद राफे जामी

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4 JAN 2022 AT 17:09

हम इस तरह से पहचाने जाते हैं।
तेरे ख्वाबों में जब जब आते हैं।।

मोहम्मद राफे जामी

ہم اس طرح سے پہچنے جاتے ہیں
تیرے خوابوں مے جب جب آتے ہیں

محمّد رافع جامی

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30 DEC 2021 AT 13:37

रक़ीबों को मेरे बिठा कर चले।
नज़र से मुझे यूँ गिरा कर चले।।

जफा करने वाले तेरा शुक्रिया ।
वफाओं को मेरी भुला कर चले।।

मुझे दोस्तों पर भरोसा था लेकिन।
अपने ही मुझसे दग़ा कर चले।।

चुराए थे जिनकी आंखों से आंसू।
हमें ही वो देखो रूला कर चले ।।

ग़लत फहमीयों के ये फासले भी ।
हमे आप से भी जुदा कर चले।।

जिन्होंने दुखाया दिल मेरा जामीं।
हक़ में हम उनके दुआ कर चले।।

मोहम्मद राफे जामी

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23 DEC 2021 AT 12:58

परवाना था इर्द गिर्द करता रहा तवाफ़ शम्मा के।
फिर खुद जलके ख़ाक़ हुआ संग सुबह होते होते।।

मेरी पहचान वफादारों में क्या होती इस हालात में ।
वो रात मसल के जामी बदला रंग सुबह होते होते।।

मोहम्मद राफे जामी

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