20 JUN 2017 AT 19:14

तेरे लबों पर साँस लेती वो आखिरी बून्द
मेरे अंदर एक सहरा की प्यास जगा गयी
तेरी उठती गिरती सांसे वो मद्धम मद्धम
मेरे धड़कनों में गहरा तूफान उठा गयी
वो कोरों तक सफ़र तय करती मुस्कान
मेरे अंदर एक अजीब सी आग लगा गयी
क्या जाने ये इश्क़ है की कोई और बला
बस मुझे जीते जी जिंदा लाश बना गयी
की छूकर एक बार आज मुझे "मैं" कर दो
तुम्हारे ख़्याल कल रात फिर सपनो में मुझे
बेबस कर गए

- मिनाक्षी -एहसासनामा