19 JUL 2017 AT 23:03

मेरी तबाही का मन्ज़र कोई क्या कहेगा
कभी तबियत हो तो आना इस तूफ़ान में
पिघला हुआ शीशा मेरी कलम से बहेगा

- मिनाक्षी -एहसासनामा