कुछ यूँ बिखरे हैं एहसास इधर उधरजैसे सरसो भरा सूप , जैसे सर्दी की धूपजैसे मेरे हाथों से छूटा वो तेरा हाथजैसे बारिश की रुत जैसे अमावस की रात - मिनाक्षी -एहसासनामा
कुछ यूँ बिखरे हैं एहसास इधर उधरजैसे सरसो भरा सूप , जैसे सर्दी की धूपजैसे मेरे हाथों से छूटा वो तेरा हाथजैसे बारिश की रुत जैसे अमावस की रात
- मिनाक्षी -एहसासनामा