23 JUN 2017 AT 23:47

कुछ यूँ बिखरे हैं एहसास इधर उधर
जैसे सरसो भरा सूप , जैसे सर्दी की धूप
जैसे मेरे हाथों से छूटा वो तेरा हाथ
जैसे बारिश की रुत जैसे अमावस की रात

- मिनाक्षी -एहसासनामा