कुछ लड़कियों की किस्मत में मोहब्बत नहीं होती
उनकी किस्मत में होता है इंतजार, धोखा, बेइंतहा दर्द और पछतावा गलत इंसान को चुनने का।।
लेखिका-
मुझे लगता है खो दिया है मैंने सब कुछ
एक ऐसे शख्स को पाते पाते
जो मेरा कभी हुआ ही नहीं।।
लेखिका-
कुछ बात तो होगी पहली मुलाकात तो होगी
इस दिल को यकीन है तुम मिलोगे कभी ना कभी
फिर होंगे मुलाकातों के सिलसिले
मुलाकातों से आगे बढ़ेंगे कहानी हम एक नई लिखेंगे।
मेरी लेखनी मेरे भाव...
लेखिका....-
आसान नहीं होता एक बच्चे को अकेले पालना
मगर वह क्या है ना माँ सब कुछ कर लेती है।
ज़रूरत पड़े तो बाप भी बन लेती है।
उसे आता है रात भर जाग कर लोरी सुनाना।
सुबह उठकर पैसे कमाना।
भूल जाती है वह सोना खाना और जीना ।
मां का प्यार मां और बाप का दुलार एक साथ है देना,
कहीं सो गई तो कुछ कमी ना रह जाए ।
इसलिए कम खाती है कहीं नींद ना आ जाए।
उसे फ़िक्र नहीं आप सजाने संवारने की
उसे बस अपने बच्चे का भविष्य संवारना है।
एक अकेली मां सबकुछ कर लेती है।
जरूरत पड़े तो बाप भी बना लेती है।।
मेरी लेखनी मेरे शब्द....
लेखिका...
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बहुत लिखा गया है चाय पर
आज कुछ कॉफी पर लिखते हैं
वह क्या है ना काफी अब मुझे मेरी तरह लगने लगी है
आलीशान होटलों में बैठकर पीते सब कॉफी हैं ,
जताते सब अपना स्टैंडर्ड हाई हैं ,
लेकिन आती है बात जब मोहब्बत की
सब मोहब्बत चाय पर लुटाते हैं।।
मेरी लेखनी मेरे भाव...
लेखिका...
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बहुत याद आ रही है तुम्हारी
आज तुम्हें भी तो मेरी याद आई थी ना
तुम सोचते हो ना आजकल मुझे तुम्हारी परवाह नहीं
तुम कहीं भी रहो मुझे क्या फर्क पड़ता है
पता है क्यों सोचने लगी हूं मैं ऐसा
क्योंकि तुम्हें लगता है कि तुमने मुझे खरीद लिया है
एक चुटकी सिंदूर और सात फेरों के साथ
बेचारी अब कहां ही जाएगी
बस ऐसे ही मैं भी सोच लिया है तुम किसी के साथ भी हो आज की रात
लौट करते तुम मेरे पास ही आओगे वह क्या है ना फेरे तो तुमने भी लिए थे।
बीके हम अकेले नहीं है हमने भी खरीदा है तुम्हें।।
मेरी लेखनी मेरे भाव...
लेखिका...-
उन्हें मुझसे मोहब्बत हो गई थी
लेकिन मोहब्बत छोटी वाली थी
वो जो थोड़ी देर के लिए होती है ना वह वाली थी ।।
छोटी सी मोहब्बत थी जल्दी खत्म होगई
हम सात जन्म साथ गुजारने को तैयार बैठे थे।
वह बीच में ही उठ कर चले गए।।
मेरी लेखनी मेरे भाव.....
लेखिका...
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कुछ बातों के मतलब नहीं होते
कुछ बातें बिल्कुल बेमानी होती हैं
कुछ बातों के सिर पैर नहीं होते
कुछ बातें बस यूं ही कह दी जाती हैं
क्योंकि बातें तो बातें हैं चाय की चुस्कियां लेते हुए कुछ बातें मुंह से निकल जाती हैं।।
मेरी लेखनी मेरे भाव...
लेखिका...
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जब तक नहीं आएगी तुम्हें मेरी याद
तब तक नहीं होगी हमारी और तुम्हारी कोई बात
माना की मोहब्बत बहुत है हमें तुमसे
लेकिन अब आत्मसम्मान से बढ़कर तुम भी नहीं।।
मेरी लेखनी मेरे भाव....
लेखिका....-