Mere jazbaat or alfaaz   (मेरा वजूद)
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Ek Tarfa
Joined 22 July 2018


Ek Tarfa
Joined 22 July 2018
15 APR 2022 AT 8:51

बेचैन सहमी सी जान थी, दर्द दिल मे साथ लिए
चल पड़ी जीवन की नाव मे
एक और बार हिममत जूटा, आँखों मे अंशु लिए
चल पड़ी जीवन की नाव मे
साथ सब छोड़ गए थे, बस अकेले एक आस लिए
चल पड़ी जीवन की नाव मे
सफर शुरू अकेले हुवा, एक उम्मीद दिल मे दबाये हुए
चल पड़ी जीवन की नाव मे
टकरा गए ये आंखे एक और बार एक शख्स से
शमेट लिए वो एहसास, जाने अनजाने की ये मुलाक़ात से
मानो मुझसे जुडी हैँ इसकी उम्मीद सारी
ठहर जरा सा सोच लू कहीं फिर धोका ना कहा जाऊ मै बेचैरी
संभाल खुद की आश बहती नदी के बहाव मे
जो होगा देख लेंगे एक दोस्त चाहिए साथ मे
किस्मत का साथ कुछ यूँ मिला जीवन संवरने लगा
एक नयी ख़ुशी की आगाज़ मे
जल का उतार चढ़ाव कब साथ ले आया हमें
जीवन की नाव मे
हर मुश्किल का समना किया एक साथ हिम्मत जुटाये
उस एक जीवन की नाव मे
सुख दुख से भरे हर मोड़ को साथ मे पार किया
जीवन की नाव मे
अब एहसास हो चूका था जीवन की आखिरी सांस तक ये सफर एशा ही जीना है
जीवन की नाव मे
मगर किस्मत का क्या कब साथ छोड़ जाये क्या पता
बन कर तू मेरी किस्मत मुझसे मिला आज किस्मत ने साथ छोरा तो हाथ तेरा भी छूट गया
किस्मत कहूं या अपनों की नासमझी जिन्होने अपनी खुशी को मेरी ख़ुशी बना दी
ना समझे वो लोग की मै भी मेरी नाव को चलना जानती हूँ
मुझे भी खुद को संभालना है,
दुनिया की आँखों से देख मुझे मुझसे दूर कर दिया
एक और बार मे अकेले हो गयी
जीवन की नाव मे

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11 APR 2022 AT 0:04

वक़्त काफ़ी बीत गया है ... बरसो बाद भी उसी कसमकस मे हूँ
जमाना बदला नहीं ... बरसो बाद भी उसी उलझन मे हूँ
जिंदगी मेरी है या मुझे अपने तरीके से चलाने वालो की
अपने आज भी बदले नहीं ...बरसो बाद भी परायेपन मे हूँ

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2 JUL 2021 AT 12:15

यूँ तो बहुत कुछ बदल गया इन
बीते कुछ सालों मे
मगर ना जाने क्यों डूबे रह गयी मै इन सवालों मे
वो खूबसूरत सी श्याम जब हम मिले थे,
याद है न?
दिल से दिल के रिश्ते आँखों से बन गए थे
हुवा कुछ यूँ कमी रह गयी मुहब्बत मे
और तुम्हे पन्हा मिल गयी किसी और की बांहों मे
टूट गए हम उस कांच की तरह
जिसका जुड़ना अब मुमकिन न था
किस्मत ने भी क्या खूब खेल खेला
क्या दिल, क्या सपने सब चुटकी मे तोड़ डाला
समेट उन कांच के टुकड़ो को हम चल दिए
एक टूटी सी ख्वाइश को आंसू मे दबाये बस चल दिए थे,
इस छोटी सी ज़िन्दगी मे एक कहानी मुझे भी लिखनी है
देके खुद को नया किरादार
खुद को संवारना है

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2 JUL 2021 AT 11:34

Khubsurat C shubah mehakne lagi thi
Dil ki bechaini kuch yun badne lagi thi
Ankho ki tadpan bhi kuch kam nhi thi
Lafz khamoshi se ladkhadaye kuch is trah
Mano
aaj wo milne wala tha
jiska ek arse se intzaar tha

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2 JUL 2021 AT 11:21

Kabhi is phool kabhi us phool phool phool par un mandrana
Na jane kab tum bhanwaron se hogye

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28 MAR 2021 AT 22:28

एक बार फिर आगई
हाँ लो आगई बस तुझे ही देखने
तेरे घर से कुछ दीवारों की दूरी पर
हाँ आगई फिर छत पर
तुझे छूती हुई गुजरने वाली हवा से मिलने
जानती हु एहसास तुझे भी है
ख्याल तुझे भी है.
दिलचस्प बात तो यह है की
हवाओं से बेहतर तो तेरी ख़ामोशी बातें कर जाती हैँ
इन चंद दिवारों की दूरीयों से लड़ कर भी मिलने मुझसे ही आती है
इन एहसासो नें ही तो जोड़ के रखा है रिश्ता हमारा
वरना अल्फाज़ो नें तो अक्सर रिश्तों को धोके में रखा है

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28 MAR 2021 AT 22:13

Meri har baat mai nasha hai
Kabhi kar ke dekho

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23 MAR 2021 AT 18:56

जिस्म की भूख कहूं या
ज़िश्मनी अंदाज़ की मुहब्बत
वो मुहब्बत करता तो है
एहसास से जुडा है या
एहसासों में बंध गया
वो एहसास होता तो है
यूँ तो सुना है मुकम्मल मुहब्बत की पहचान रूह से होती है
लेकिन उस मुहब्बत की शुरुआत भी तो जिस्म से ही होती है।

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23 MAR 2021 AT 18:46

कुछ इस तरह जिंदगी हो गयी हैँ
दिल में कोई और बसा है
दिमाग़ कहीं और लगा है
हालत कुछ ऐसे हो गए हैं
ना दिल मेरा है
ना दिमाग़ पर ज़ोर है
काश एक जिंदगी और होती
एक में हम मुहब्बत करते एक में कोई हमें मुहब्बत करता
ना दिल रोता ना दिमाग़ हारता

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23 MAR 2021 AT 18:36

अक्सर बेवफा को भूल पाना मुश्किल होता है
तो उसे दूर मत जाने दो
साथ रहकर बेवफाई की यादें
एक दिन तुम्हे उससे खुद दूर कर देगी

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