Meheer Kashyap   (मिहिर)
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Joined 17 September 2017


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Joined 17 September 2017
1 JUL 2020 AT 19:26


इश्क नहीं इस जहाँ में हर किसी के नसीब..
ये तो खुदाया नूर है नहीं होता यूं ही रुह के करीब..

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30 JUN 2020 AT 9:46

इक आहट हुई..
और वो मिरी चाहत हुई...
जरा सी सरसराहट हुई..
रुह सी फिर वो इबादत हुई..

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29 JUN 2020 AT 12:43


क़तरा क़तरा महसूस होते हो तुम साँसों की तरह..
परस्तिश ओ बन्दगी कुछ इस तरह की है हमनें..



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29 JUN 2020 AT 9:27

मिहिर से महताब तक..
ईक अनसुलझे ख्बाब तक..
पहेली हुई किताब तक..
अधखिले से गुलाब तक..
खुमारी सा इजहारी हुआ इश्क..

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28 JUN 2020 AT 12:21

तुम्हारा होले से रुठ जाना ही मुहब्बत है..
यही तो खुदाया ईनायत है..
रुह का रुह से राब्ता सा तो है..

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23 JUN 2020 AT 15:54

शिकस्ता सी थी मिरी जिन्दगी..
अहिस्ता से आ कर तूने इसे बन्दगी बना दिया..

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22 JUN 2020 AT 20:09

Silence carried with depth...
Smiled by her eyes..

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22 JUN 2020 AT 18:10



अब तो हर जगह तू ही मयस्सर है,मेरी जिन्दगी कुछ यूं तुझ से तरबतर है...
हर साँस में तू है समायी,मेरी रुह कुछ इस तरह तेरा घर है...

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20 JUN 2020 AT 19:22

साँसों की तरह रेत सी फ़िसलती तुम..
और सूर्ख लहू सा बिखरता मैं...
जीवन और मृत्यु के नादों में गुजंता ..
व्यथित विरह में झूमता प्रेम गीत..

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18 JUN 2020 AT 2:27

Love is
all
about
Mirroring
Each Other

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