22 MAY 2018 AT 13:55

गरीब का कोई सच्चा दोस्त नहीं होता
वक्त से बड़ा कोई चालबाज़ नहीं होता
जवानी में मगरूर रहते हैं सभी यहाँ
बु़ढ़ापे से कड़वा कोई सच नहीं होता
किसे है फुर्सत जो दास्तां सुने हमारी
दूसरे के गम़ में दर्द महसूस नहीं होता
गुम है सभी अपने अपने किस्सो में
बेवजह कोई मसरूफ़ नहीं होता
मुखौटा लगाए घूमते हैं हम यहाँ मीनू
उजागर कभी असली चेहरा नहीं होता
मीनू....



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