Мσиα ρяαтιвнα   (Мσиα ρяαтιвнα (ɱ℘))
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Joined 20 September 2017


Joined 20 September 2017
8 JUL 2020 AT 16:16

कैसे कहे ख़ुदको बेगाने ,जब इस बगीचे के गुलाब ही हमारे नहीं हैं।।
काटो से दोस्ती हैं,पर वो गुलाबो के ही नहीं हैं।।

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6 JUL 2020 AT 2:35


कैद करलू तुम्हें हसीन तस्वीरों में
कहीं खो ना जाओ मेरे खयालों के भवंडरो में ।।

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6 JUL 2020 AT 1:03

कैसे रहते होंगे गुलाब उन काटो के बीच ?
हम तो इस बरसात में भी जल रहें हैं ।।

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29 JUN 2020 AT 23:56

तेरी आवाज़ की तलब में रूठे थे मेरे कान ।।
ज़रा आवाज़ लगा ना मुझे, सो गए हैं या जगे अब तक तेरे नाल ।।

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26 JUN 2020 AT 21:37

रात भर नींद नहीं आई ,
ये सोच सोच के की इन गर्मियों के दिन बरसात कैसे आईं।।

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10 JUN 2020 AT 12:05

वहम ही सही , तेरा ज़िक्र तो हैं ।।
ख़्वाबों में ही सही, तू दिल के क़रीब तो हैं ।।

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20 MAY 2020 AT 1:48

तसव्वुर है वो मेरी नादानीयत की तहे जिन्दा हूं मै,
कभी रूबरू हो गई उनसे तो सांसे भी ना निकले।।

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24 MAR 2020 AT 17:37

बड़ा ही खौफ़नाक हैं ए मंज़र,
सब होके भी कोई नहीं यहां।।

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22 MAR 2020 AT 21:09


कदमों पे तेरे क़दम मै रखु एं तमन्ना कर,
ना बनूं तेरी तो, हर्फ़ बन गुजरू तेरी हयात का ऐसी आस रख।।

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1 MAR 2020 AT 11:51

दोनों में था जो, अब मुझमें रह गया हैं।
एक तरफा मोहब्बत ही हैं, जो आग़ाज़-ए-मोहब्बत कर रहा हैं।।

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