वो लफ्ज़ ही क्या जो आग ना लगाए, वो नज़रें ही क्या जो बाण ना चलाए, अरे बने होंगे कुछ शायर और कवि प्यार में, पर वो प्यार ही क्या जो दीवाना ना बनाए | - Dusht mayank
वो लफ्ज़ ही क्या जो आग ना लगाए, वो नज़रें ही क्या जो बाण ना चलाए, अरे बने होंगे कुछ शायर और कवि प्यार में, पर वो प्यार ही क्या जो दीवाना ना बनाए |
- Dusht mayank