Máÿàñk Gáûťàm   (ÂÑŚHÙ.....)
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Joined 15 April 2018


Joined 15 April 2018
25 NOV 2023 AT 3:10


जो ना काबिल ऐ बर्दाश्त गुनाह किए मैंने
मुझे सरे बाज़ा अदालत में पेश किया जाये
मेरे गिरेबां से लांछन हटाने की दवा हो तो ठीक
वरना मेरे मरण का आदेश दिया जाये

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8 APR 2020 AT 13:59

इश्क़ का रोग कुछ ऎसा है
कि कोई दवा रास ना आई है
भटकते भटकते हमसे भी मर्म पूछा
हमने कहा कभी शराब आजमाई है

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24 MAR 2020 AT 0:35

मेरा मकान गिरने का मुझे गम कहाँ है
हम फिर बना लेंगे आशियाने ,ज़मीं पे मिट्टी कम कहाँ है|

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27 JUN 2019 AT 2:44

माना की मैं गलत था हर वक़्त इश्क़ में...
पर धोखा देने वालो मे शुमार नहीं था...

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27 JUN 2019 AT 2:28

मेरा दिल उस दिन कितना बेक़रार हुआ था....
जिस दिन तेर चेहरे का दीदार हुआ था....

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15 AUG 2018 AT 11:19

Apni jaan ke dushman ko hum apni jaan kehte haiin...
Mohobbat ki isi zameen ko hum hindustaan kehte hain....

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20 JUL 2018 AT 0:03

मछलियो से बैर करके, मैने मगरमच्छो से मोहब्बत सीखी है....
समुन्दर क्या बिगाड़ेगा मेरा, मैने लेहरो पर सवारी सीखी है....

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17 JUL 2018 AT 0:34

सुना है समुन्दर को अपने उपर गुमान आया है..
कश्ती उस तरफ़ ले चलो जिधर तूफ़ान आया है...

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8 JUL 2018 AT 3:22

मोहब्बत के मुकम्मल होने की मुझे झूठी आशा है..
मेरे लिये तो इश्क़ है, उनके लिये तमाशा है...

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7 JUL 2018 AT 19:32

ऐ वक्त तू कोशिश कर ले, देखता हूँ तू मुझे कितना गिरायेगा..
तुझे मैं उठ के दिखाऊगा... क्यूकी वक्त तो मेरा भी आयेगा ...

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