जो ना काबिल ऐ बर्दाश्त गुनाह किए मैंने
मुझे सरे बाज़ा अदालत में पेश किया जाये
मेरे गिरेबां से लांछन हटाने की दवा हो तो ठीक
वरना मेरे मरण का आदेश दिया जाये-
इश्क़ का रोग कुछ ऎसा है
कि कोई दवा रास ना आई है
भटकते भटकते हमसे भी मर्म पूछा
हमने कहा कभी शराब आजमाई है-
मेरा मकान गिरने का मुझे गम कहाँ है
हम फिर बना लेंगे आशियाने ,ज़मीं पे मिट्टी कम कहाँ है|-
माना की मैं गलत था हर वक़्त इश्क़ में...
पर धोखा देने वालो मे शुमार नहीं था...-
मेरा दिल उस दिन कितना बेक़रार हुआ था....
जिस दिन तेर चेहरे का दीदार हुआ था....-
Apni jaan ke dushman ko hum apni jaan kehte haiin...
Mohobbat ki isi zameen ko hum hindustaan kehte hain....-
मछलियो से बैर करके, मैने मगरमच्छो से मोहब्बत सीखी है....
समुन्दर क्या बिगाड़ेगा मेरा, मैने लेहरो पर सवारी सीखी है....-
सुना है समुन्दर को अपने उपर गुमान आया है..
कश्ती उस तरफ़ ले चलो जिधर तूफ़ान आया है...-
मोहब्बत के मुकम्मल होने की मुझे झूठी आशा है..
मेरे लिये तो इश्क़ है, उनके लिये तमाशा है...-
ऐ वक्त तू कोशिश कर ले, देखता हूँ तू मुझे कितना गिरायेगा..
तुझे मैं उठ के दिखाऊगा... क्यूकी वक्त तो मेरा भी आयेगा ...-