एक पुरानी क़ब्र को खोदते हुए
मिट्टी निकाली जा रही थी,
और बात दोहराई जा रही थी गुज़िश्ता लम्हों की!
मानों क़ब्र में जो दफ़्न है,
उसकी याद ही ने पुकारके बुलाया हो,
और खुदाई काम शुरू करवाया हो!
खुदाई होती गई,
और इतनी हुई कि कफ़न दिखने लगा;
मगर जैसे ही उसे खोला गया,
कि वह तो खाली था!
अंदर तो कुछ न था!
कौन-सी बात की याद आई,
क्यों करवाई इतनी खुदाई,
सोचते-सोचते बाहर आते ही-
चारों ओर फैला मिट्टी का ढेर दिखा!
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