ये कलयुगी महाभारत है,
यहाँ दुर्योधन लाखों हैं,
हर गली चौराहे...
हो रहा द्रौपदी का चीर हरण,
जब जब ये लाखों दुर्योधन चाहें...
सब मूकदर्शी, बेबस बने बैठे हैं,
उस महाभारत की तरह आज भी...
क्या एक कृष्ण के इंतज़ार में??
हमारे अंदर ही तो कृष्ण और दुर्योधन
दोनों बसे हैं..
कोई ये क्यों नहीं सोचता!!
खैर, इस कलयुग में अब
कृष्ण का इंतज़ार नहीं है करना...
बस द्रौपदी अब शस्त्र उठा लो,
अब कान्हा के इंतज़ार न करना...
इन दुर्योधनों के लिए दुर्गा बन जाना,
बस अब कान्हा के इंतज़ार न करना...
- Manvi Verma ©