तुम्हारे बालों को छेड़, कानों को सहलाकर जो हवा गुज़रती है,वो मेरा ही तो पैगाम लिए तुम्हारे पास पहुंचती है... - Manvi Verma ©
तुम्हारे बालों को छेड़, कानों को सहलाकर जो हवा गुज़रती है,वो मेरा ही तो पैगाम लिए तुम्हारे पास पहुंचती है...
- Manvi Verma ©