22 MAR 2018 AT 0:49

फूंक दो ये जिस्म मेरा कि फिर से इक नई साँस भरूं
राख बनकर इस हवा में बेखौफ़ फिर इक उड़ान भरूं

क़ज़ा से डरना कैसा, ये तो चूमेगी ही इक दिन...

- Manvi Verma ©