फूंक दो ये जिस्म मेरा कि फिर से इक नई साँस भरूंराख बनकर इस हवा में बेखौफ़ फिर इक उड़ान भरूंक़ज़ा से डरना कैसा, ये तो चूमेगी ही इक दिन... - Manvi Verma ©
फूंक दो ये जिस्म मेरा कि फिर से इक नई साँस भरूंराख बनकर इस हवा में बेखौफ़ फिर इक उड़ान भरूंक़ज़ा से डरना कैसा, ये तो चूमेगी ही इक दिन...
- Manvi Verma ©