मिस्मार कर दी शख्शियत मेरी अपना वादा तोड़ कर,और मेरे दिल के बिखरे टुकड़े बेच रहे सरे बाज़ार...क़ातिल हो मेरे तुम, छलनी किया है यकीन को मेरे,इस ग़ुनाह की माफ़ी नहीं चाहे मिन्नतें करो हज़ार... - Manvi Verma ©
मिस्मार कर दी शख्शियत मेरी अपना वादा तोड़ कर,और मेरे दिल के बिखरे टुकड़े बेच रहे सरे बाज़ार...क़ातिल हो मेरे तुम, छलनी किया है यकीन को मेरे,इस ग़ुनाह की माफ़ी नहीं चाहे मिन्नतें करो हज़ार...
- Manvi Verma ©