कुछ जज़्बात मन की चारदीवारी में ही,कैद होकर रह जाते हैं...ताउम्र रिहाई नहीं होती उनकी...उन जज़्बातों की दलीलें भी,नहीं सुनी जाती कभी...बस एक फ़रमान या फैसला;जो कह लें...सुना दिया जाता हैै"उम्रकैद"... - Manvi Verma ©
कुछ जज़्बात मन की चारदीवारी में ही,कैद होकर रह जाते हैं...ताउम्र रिहाई नहीं होती उनकी...उन जज़्बातों की दलीलें भी,नहीं सुनी जाती कभी...बस एक फ़रमान या फैसला;जो कह लें...सुना दिया जाता हैै"उम्रकैद"...
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