14 JUL 2018 AT 23:40

कुछ जज़्बात मन की चारदीवारी में ही,
कैद होकर रह जाते हैं...
ताउम्र रिहाई नहीं होती उनकी...
उन जज़्बातों की दलीलें भी,
नहीं सुनी जाती कभी...
बस एक फ़रमान या फैसला;
जो कह लें...
सुना दिया जाता हैै
"उम्रकैद"...

- Manvi Verma ©