ये कौन-सी खिड़की है, ये कौन-सी धूप आयी है,
ये किस रास्ते से रोशनी घर के अंदर आयी है?
ये कौन- सी हवा चली, ये किस महक को लायी है,
ये किसकी ख़ाक है जो तुमने मेरे सर लगायी है?
जगह है ये कौन-सी, ये कौन-सी दीवार है,
ये रंग है या रूप है या अब्र की बौछार है?
ये आसमाँ पे क्या लिखा, ये रेत है या राग है,
जो बुझ गया सो मिट गया, जो जल गया सो पार है|
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