ज़ाहिर कर दिया हम-नें सब कुछ,
मग़र ग़लत जग़ह किया सब कुछ!-
Manojsinh Parmar
(_mann_j | मनोजसिंह परमार)
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इस बात का ज़िक्र हर कही हो,
की किसी बात की फ़िक्र हमें नहीं...
की किसी बात की फ़िक्र हमें नहीं...
Joined 19 January 2019
2 MAY 2020 AT 10:34
और फिर इश्क़ इन आँखों से ऐसे उतरा,
जैसे सूरज सर चढ़ा ज़िस्म से साया उतरा!-
1 MAY 2020 AT 17:41
Ek Shaam Main Yoon Baitha Rha,
Vakt Betata Rha Log Yaad Aate Rhe!-
30 APR 2020 AT 18:54
अभी तो मिले थे और अभी ही बिछड़ना,
कुछ वक़्त ही तो बिता हँसते, अभी रोना!
इतना वक़्त लगा वक़्त को हमें मिलाने में,
बिछड़ने में वो वक़्त भी नही दिखाई दिया!
कुछ सफों की ख़ामोशी हमें क़ैद कर लेगी,
पलों की घुटन और धुआँ फिर वही रोयेगी!
परख नही है लोगो की हम ग़लती कर देते,
हर-बार वही धोखा हर-बार यही दोहरा देते!-
29 APR 2020 AT 8:00
अजीब दुःख से गुज़रना पड़ रहा हैं,
तुमसे बात करके भी रोना पड़ रहा हैं!-
28 APR 2020 AT 19:32
સાંજને કાંઈક એવી આતુરતા છે,
તારા સરનામે શમવાની શરત છે!
© મનોજસિંહ પરમાર-
6 APR 2020 AT 14:01
ना शिक़ायत तुझसे ना कोई नाराज़गी है,
एक भरम है मेरा जो हकीकत बन टूट है!-