29 JUN 2017 AT 14:18

छोड़ चल देता हूँ, अपने प्यारे घर को भी
चंद कागज़ के टुकड़ों के लिए
ताकि खरीद सकूँ कुछ खुशियाँ
अपने छोटे से परिवार के लिए
कोई कमीं न रह जाए मुझसे
बस यहीं सोच कर डरता हूँ
आधी आधी को भी जाग में काम करता हूँ
न आये कोई दुःख मेरे परिवार को
हर दुःख अपने पे समेट मैं लेता हूँ
कुछ इस तरह छोटी छोटी खुशियाँ
अपने परिवार के लिए बटोर मैं लेता हूँ

- मन के लेख|मन नैनवाल