वो आईने बदलते रहे अक्स अपना देखकर खुद से मुँह मोड़ते रहे तमाम ज़िन्दगी भ्रम में जिए दुनिया के दूसरे छोर तक गए घर तक अपने जो पहुंच न सके - Manjula Shaah
वो आईने बदलते रहे अक्स अपना देखकर खुद से मुँह मोड़ते रहे तमाम ज़िन्दगी भ्रम में जिए दुनिया के दूसरे छोर तक गए घर तक अपने जो पहुंच न सके
- Manjula Shaah