मैं तुझे जानती नहीं मैं तुझसे मिली भी नहीं क्या खास है तेरी शख्सियत में तेरी किताबों की गिरफ्त में जकड़ी हूँ अभी तक पहले पन्ने में अज़ीम शायर से मिली थी आखिरी पन्ने में बेहतरीन इंसान से - Manjula Shaah
मैं तुझे जानती नहीं मैं तुझसे मिली भी नहीं क्या खास है तेरी शख्सियत में तेरी किताबों की गिरफ्त में जकड़ी हूँ अभी तक पहले पन्ने में अज़ीम शायर से मिली थी आखिरी पन्ने में बेहतरीन इंसान से
- Manjula Shaah