कोई किस्सा कोई कहानी कोई तमाशा नहीं चाहिए मैं ठहरी हुई हूं मुझे कोई हलचल नहीं चाहिए ये मिलने मिलाने को दस्तूर ही समझना कि मेरा इश्क खुदा है मुझे कोई खलल नहीं चाहिए....M.A.
ना तुम्हारी बोली ना व्यवहार ना प्रेम ना श्रींगार, ना वस्त्र ना साजो सज्जा ना समर्पण ना त्याग, उसे दिलचस्पी ही नहीं तुम्हारे इस रूप में; वह मोहित हो ही नहीं सकता ; वह होना ही नहीं चाहता, क्योंकि ....... उसकी निगाहें गिद्ध सी हैं तुम पर और नीयत भेड़िए सी.....M.A.
बिखेर देती हूं अक्सर फर्श पर अपने जज्बात के मोती फिर खुद ही एक एक जज़्बात चुन लेती हूँ बड़े कीमती है ये मोती मेरे सबसे छिपा रखती हूँ इन जज्बातों के चोर बहुत है न ताला न जिसकी चाबी कोई। । पाना हो गर तो साथ मोती चुनने होगे हर कोने से हर जगह से अपने मोतियों संग फिर रखने होंगे।।M.A.
जो मिलते नहीं जिंदगी में चाहते उन्हीं से गहरी होती हैं, सिवा उनके नज़दीकियां किसी से कहां होती हैं, खोने के लिए पाना भी जरूरी होता है मगर , जिन्हें पाया नहीं उन्हें खोने की गुंजाइश भी कहां होती है। M.A.।