मैंने उस एक शख्स में अपनी पूरी दुनिया बसा ली,
अब डर बस अपनी दुनिया उजड़ने का लगा रहता है।।-
कोई रिश्ता नहीं उसका मुझसे ये जानती हूं मैं
पर फिर भी इश्क बेहद है मुझे उससे ये मानती हूं मैं
रखूं पास उसे या चली जाऊं दूर उससे
अपने इन्ही सवालों का जवाब अक्सर ढूंढती हूं मैं।।-
इश्क मेरा मुकम्मल नही हुआ तो क्या हुआ,
एकतरफा ही सही, पर बेहद किया है।।-
बेशकीमती चीजों की शौकीन तो नहीं,
पर जब बात तुम्हारी हो तो समझौता पसंद नहीं।।
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कि मेरे तमाम सवालों का जवाब कुछ इस कदर देता है वो
मेरे हाथ पर अपना हाथ रख मैं तेरा हूं बस तेरे लिए हूं ये कह देता है वो।।-
बेवकूफी भी देखो कितनी हसीं और किस हद तक कर बैठी हूं
किस्मत में जो नही है मेरी,उसे किस्सों में संजोने की तमन्ना रख बैठी हूं
मसला तो ये सारा मोहब्बत का है कुछ पल चले या उम्र भर ढले, मालूम किसे
मगर दिल के सारे अरमानों की तिजोरी उसके आगे खाली कर बैठी हूं।
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लगता है, मेरे इश्क की कहानी
मुझसे ही बेगानी है।
जिसमें मैं हूं, तुम हो
लेकिन हम नहीं।।-
तम्मना बस इतनी सी है,
तेरे दिल और दिमाग की कुछ इस कदर हिस्सेदार हो जाऊं।
जिक्र जब भी हो मोहब्बत का
तुझे बस मैं याद आऊं।।-
तम्मना भी देखो कैसी अजीब कर रही हूं
जानती हूं हिस्से में नही हो तुम मेरे,
पर फिर भी जिंदगी के हर किस्से में
रब से बस तुम्हें मांग रही हूं।।-
वो बेखौफ बेपरवाह सी लड़की थी
फिर एक दिन उसे तुमसे मोहब्ब्त हो गई।
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