Manish Saini   (Poet Maddy)
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Joined 22 April 2018


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Joined 22 April 2018
4 FEB 2022 AT 23:43

यूँ तो हम लोगों से,
मुलाकात करते रहे...........
जिससे भी मिले हम,
तुम्हारी बात करते रहे........
हमने तो की थी वफ़ा,
तुमसे उम्र भर टूटकर.........
और एक तुम थे जो,
दगा हमारे साथ करते रहे....
सोचा था तुमको देंगे,
सज़ा दगा करने की...........
मगर तुम्हें खो न दें,
इस बात से डरते रहे..........
साथ-साथ जीने की,
कसमे खाई थीं हमने..........
चलाकियाँ तुम मेरे,
दिल के साथ करते रहे.......
तुम किसी और के साथ,
जीते रहे ज़िंदगी अपनी........
और इधर हम तुम्हारी,
फ़िक्र में दिन-रात मरते रहे......

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4 FEB 2022 AT 0:33

तुमको कोई देखे हमको
ज़रा भी गवारा नहीं.......
गलियों में आते हैं तुम्हारी,
लेकिन हम आवारा नहीं.........
तुमको देखते रहे हम,
एक लंबे अरसे से.........
तुमने किया हमको,
एक इशारा भी नहीं........
हमको लगा बुरा अंदाज़,
तुम्हारा उस शाम को.........
हमने देखा तो तुमको,
लेकिन हमने तुम्हें पुकारा नहीं........

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3 FEB 2022 AT 0:37

इश्क वाली गली में,
रहती है वो......
इशारों-इशारों में,
सब कहती है वो...
कहती है गलियों में,
न आया करो....
हमें इस तरह कभी,
न सताया करो....
इतना गुस्सा न,
दिखाया करो...
मोहब्बत को मोहब्बत,
की तरह निभाया करो..
न जाने कल हम,
रहें न रहें.....
हो कुछ भी न होंगे,
कभी फाँसले....
हुए जो फाँसलें कुछ,
कर जाएँगे हम.....
मोहब्बत में तेरी,
मर जाएँगे हम.....







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1 FEB 2022 AT 22:31

आँखों में अपनी मैं,
ख़्वाब लिए फ़िरता हूँ.....
रिश्ता एक बेहद,
नायाब लिए फ़िरता हूँ.....
हिज्र का तो दूर तक,
मतलब न था उससे........
इश्क भी हमको कभी,
बेमतलब न था उससे.......
इश्क होना था उससे,
इश्क हो गया है हमको......
ज़िंदगी में कुछ भी हो,
कभी भूलेंगे न तुमको........
ग़लती हो गर तुमसे,
हम ही मांग लेंगे माफ़ी.......
क्या इश्क में तुम्हार,
इतना करना है काफ़ी.........
आओगे कभी तो तुम्हें,
सीने से लगा लूँगा मैं..........
तुम्हारी पुरानी बातों को,
पूरी तरह भुला दूँगा मैं........
जल्दी से आ जाओ,
हम मिलकर बात करते है.....
अपने रिश्ते की अब,
नई शुरुआत करते हैं..........

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1 FEB 2022 AT 0:27

न जाने क्यों मिले थे हम,
जब हमें साथ रहना ही नहीं था........
न जाने क्यों बातें करते थे हम,
जब तुम्हें हमसे कुछ कहनी नहीं था...
न जाने क्यों हम इतना ज्यादा,
तुम्हारे लिए परेशान होते रहे............
तुम हमेशा हँसती-मुस्कुराती रहीं,
हम तुम्हारे लिए पलकें भिगोते रहे......

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30 JAN 2022 AT 20:59

उसे पसंद है अपने,
शहर की चकाचौंध........
मुझको गांव की,
गलियाँ भाती हैं............
उसे पसंद है अपने,
दोस्तों की पूरी टोली.......
मुझे दो-तीन लड़कों की,
दोस्ती पसंद आती है......
उसे पसंद हैं मोमोज़,
चाउमीन और नूडल्स......
मुझे सरसो-साग और,
मक्के की रोटी सुहाती है...
उसे पसंद है देर रात,
तक जागते रहना............
मुझे हर रोज़ मेरी,
ज़िम्मेदारियां जगाती हैं.....
वो बड़े शहर की,
तेज़-तर्रार लड़की............
और मुझे चलाकियां,
ज़रा भी नहीं भाती हैं........
वो मसरूफ रहती है,
बेकार की बातों में अक्सर....
और कमबख़्त मुझे ऐसी,
बातें ही नहीं करनी आती हैं...

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30 JAN 2022 AT 0:21

मोहब्बत की राह में,
कई ऐसे मोड़ भी आए.......
जब हम न चाहकर भी,
अपनों को छोड़ ही आए......

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28 JAN 2022 AT 23:19

शायरों की महफ़िल में,
हम हंगामा कर आए.......
सभी शायरों को हम,
अपना दीवाना कर आए...
अपने टूटे हुए दिल का,
दुखड़ा सुना दिया सबको...
मोहब्बत कैसे होती है,
आज बता दिया सबको.....
शायद अब किसी का,
दिल कभी टूटेगा नहीं.......
आँखों से किसी की अब,
एक भी आँसू छूटेगा नहीं...
कभी छलक जाएं आँसू तो,
मेरे अल्फ़ाज़ों को पढ़ लेना...
गुस्सा किसी पर भी आए तो,
अपने आप से ही झगड़ लेना..
कुछ भी हो जाए चाहें,
महबूब को कभी जाने न देना...
रिश्ता तोड़ना या छोड़ना पड़े,
ऐसी नौबत तुम आने न देना.....

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27 JAN 2022 AT 23:00

अब पूरी तरह भूलना,
चाहता हूँ मैं उसको........
क्योंकि याद करने का,
उसे कोई बहाना नहीं है....
उसका इंतज़ार करके भी,
भला क्या फ़ायदा होगा....
जिसको हमारी ज़िंदगी में,
अब आना ही नहीं है.......

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26 JAN 2022 AT 22:22

कहा था उन्होंने अपने,
छोड़ कर नहीं जाते.........
रुखसत होकर उन्होंने,
हमें गैर बना दिया............
चाहा था उन्हें हमने,
बेहद टूटकर कभी...........
हमारी चाहत का उन्होंने,
हमें ऐसा सिला दिया........

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